शेर है चलते हैं दर्राते हुए
बादलों की तरह मंडलाते हुए
जिन्दगी की रागनी गाते हुए
लाल झंडा है हमारे हाथ में
बादलों की तरह मंडलाते हुए
जिन्दगी की रागनी गाते हुए
लाल झंडा है हमारे हाथ में
हां ये सच है भूक से हैरान हैं
पर ये मत समझो कि हम बेजान हैं
इस बुरी हालत में भी तूफान हैं
लाल झंडा है हमारे हाथ में
पर ये मत समझो कि हम बेजान हैं
इस बुरी हालत में भी तूफान हैं
लाल झंडा है हमारे हाथ में
हम वो हैं जो बेरूखी करते नहीं
हम वो हैं जो मौत से डरते नहीं
हम वो हैं जो मरके भी मरते नहीं
लाल झंडा है हमारे हाथ में
हम वो हैं जो मौत से डरते नहीं
हम वो हैं जो मरके भी मरते नहीं
लाल झंडा है हमारे हाथ में
चैन से महलों में हम रहते नहीं
ऐश की गंगा में हम बहते नहीं
भेद दुश्मन से कभी कहते नहीं
लाल झंडा है हमारे हाथ में
ऐश की गंगा में हम बहते नहीं
भेद दुश्मन से कभी कहते नहीं
लाल झंडा है हमारे हाथ में
जानते है एक लश्कर आएगा
तोप दिखलाकर हमें धमकाएगा
पर ये झंडा यूं ही लहरायेगा
लाल झंडा है हमारे हाथ में
तोप दिखलाकर हमें धमकाएगा
पर ये झंडा यूं ही लहरायेगा
लाल झंडा है हमारे हाथ में
कब भला धमकी से घबराते हैं हम
दिल में जो होता है, कह जाते हैं हम
आसमां हिलता है जब गाते हैं हम
लाल झंडा है हमारे हाथ में
दिल में जो होता है, कह जाते हैं हम
आसमां हिलता है जब गाते हैं हम
लाल झंडा है हमारे हाथ में
लाख लश्कर आऐं कब हिलते हैं हम
आंधियों में जग की खुलते हैं हम
मौत से हंसकर गले मिलते हैं हम
लाल झंडा है हमारे हाथ में
आंधियों में जग की खुलते हैं हम
मौत से हंसकर गले मिलते हैं हम
लाल झंडा है हमारे हाथ में
- मजाज
1 टिप्पणी:
मजाज साहब का यह झंडा गायन जोशीला एवं प्रेरणास्पद है.
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